जब मैं अपने भांजे सुमीत के बारे में सोचता, तो मेरे लिए वो अपना बच्चा था. मेहनती. मासूम. मैं उसे दुनिया की तरह नहीं देखता था- जवान, बाल-बच्चेदार आदमी जो परिवार की बजाए नशे में डूबा था. काश मैं कैलेंडर में उस वक्त को लौटा सकता, जब उसने पहली बार ड्रग्स ली थी. या नशा छुड़वाने के लिए जब उसे ‘उस’ सेंटर भेजा था!